Allama_Shahanshah_Husain_Naqvi Sb. Molana yasoob abbas के बुलावे पर लखनऊ आए हुए हैं। जहां इन्होंने एक तारीखी मजलिस को पड़ा.. हज़ारों का मजमा अल्लमा साहब को सुनने पहुँचा, इस दौरान लोग एक झलक पाने के लिए बेताब थे। तो वहीं जिस तरह से एक अज़ीम हस्ती के साथ बर्ताव किया गया वो अफसोसनाक रहा। लखनऊ का अदब जिसे कहा जाता है उसे तार तार होते देखा गया।
जिस तरह भीड़ अल्लमा शहंशाह नकवी साहब पर टूट रही थी उन्हें कई तरह की दिक़्क़तों का सामना तो करना पड़ा ही। वहीं मौलाना यासूब अब्बास घबराय नज़र आए। तारीखी मजलिस का इंतज़ाम तो उन्होंने कर लिया लेकिन अव्यवस्थाओं की भरमार थी। आरोप है कि मैनेजमेंट की कमी इतनी देखने को मिली कि अल्लमा साहब के कांधे को लेकर शिकायत आई। धक्का मुक्की में उनके कांधे में चोट आई। जिससे उनके दर्द होने लगा।
अल्लमा को इस तरह रखा गया कि जिससे ऐसा लगा जैसे अल्लमा को खुलकर बोलने की आज़ादी नहीं थी। मौलाना यासूब अब्बास ने देशभर से लोगों को ये कहकर बुला तो लिया की वह आगा से मिलवाएंगे। किसी का इंटरव्यू तय किया गया। पर जब मिलने का वक़्त आया तो उनका लहज़ा बदल गया। बुलाने के लिए सबको कहा आजाए। पर बाद में साफ इंकार कर दिया गया। अलम्मा मिलना चाहते पर यासूब अब्बास के इंकार के कारण वह मिल नहीं सके। हर काम के लिए उन्हें परमिशन लेना पड़ रही थी। मजलिस में भी इसका असर देखने को मिला।
देशभर से लोग उन्हें समय लेकर उनके घर पहुँचे पर मौके पर उन्हें धूप में बाहर खड़ा रखा गया। लेकिन उन्हें मिलने नहीं दिया जा रहा था। जिसे चाहा उसे मिलाया, जिसे चाहा दूर रखा एक मौलाना द्वारा इस तरह लोगों का बेवकूफ बनाया गया। अल्लमा को उनकी मर्जी से एक लफ्ज़ बोलने की इजाजत नहीं थी। ऐसे में कई सवाल उठ रहे हैं की आखिर मौलाना यासूब अब्बास ने इस तरह अल्लमा शहंशाह नक़वी को बुलाकर इतना दवाब में क्यों रखा है? मीडिया से दूरी क्यों रखी गई।इस्लाम से जुड़े सवाल भी नहीं करने दिए गए। सिर्फ फ़ोटो खिंचवाने की इजाजत दी गई।