मुंबई: रतन टाटा को भारत के सबसे सम्मानित और प्रिय उद्योगपतियों में से एक माना जाता था. टाटा नाम की विरासत देश के किसी भी अन्य कॉर्पोरेट घराने से कहीं आगे तक फैली हुई है. यह काफी हद तक टाटा की विरासत और रतन टाटा के अपने योगदान के कारण है. टाटा संस के चेयरमैन पद से हटने के बाद, वे चेयरमैन एमेरिटस के रूप में काम करते रहे. लेकिन उनके जाने के बाद कई सवाल हो रहे है कि आखिर उन्होंने शादी क्यों नही की.. उनका उत्तराधिकारी कौन होगा। तो आइए जानते है…
हालांकि, यह बहुत संभव है कि रतन टाटा अपने परिवार के आखिरी सदस्य हों जो नमक से लेकर सॉफ्टवेयर बनाने वाली इस कंपनी के चेयरमैन पद पर हों. बता दें कि अपने गुरु जेआरडी टाटा की तरह, रतन टाटा के भी कोई बच्चे नहीं हैं. वास्तव में, उन्होंने कभी शादी नहीं की.
रतन टाटा की क्यों नहीं हुई शादी?
रतन टाटा की उम्र सिर्फ दस साल थी जब उसके माता-पिता का तलाक हो गया और वे अलग-अलग रास्ते पर चले गए. उन्होंने अमेरिका में उच्च शिक्षा प्राप्त की. भारत में अपने अति-शानदार जीवन के आराम को पीछे छोड़ते हुए, उन्होंने लॉस एंजिल्स में अलग-अलग नौकरियां करते हुए अथक परिश्रम किया. इस दौरान, उन्हें वहां मिली एक लड़की से प्यार हो गया.
रतन अमेरिका में रहना चाहते थे, लेकिन भारत ने उसे वापस बुला लिया. उनकी बीमार दादी की आवाज के जरिए उनका देश उसे घर बुला रहा था. भारत में रहने और वापस लौटने के बीच उलझे हुए, यह विचार उसके मन में भारी पड़ गया. अंत में, उसने अपनी दादी और अपनी प्यारी मातृभूमि के पास लौटने का फैसला किया. उनकी प्रेमिका ने बाद में उसके साथ आने का फैसला किया था, लेकिन वह क्षण कभी नहीं आया.
1962 में भारत-चीन युद्ध छिड़ने से रतन की शादी की योजनाएं उलट गईं. वे अमेरिका से भारत वापस आ गए और शादी के बाद वे यहीं बसने के लिए सहमत हो गए. हालांकि, जब अमेरिकी मीडिया में युद्ध की खबरों की बाढ़ आ गई, तो उनकी मंगेतर को यकीन हो गया कि भारत लंबे समय से संघर्ष में उलझा हुआ है और इसका कोई अंत नजर नहीं आ रहा है. वह हिचकिचाने लगी और उसने दोहराया कि वह भारत जाने के लिए तैयार नहीं है. रतन के लिए, अमेरिका लौटना अब कोई विकल्प नहीं था. आखिरकार दोनों अलग हो गए.
रतन टाटा ने एक बार एक इंटरव्यू में खुलासा किया था कि उसने वहां किसी से शादी कर ली. मैंने फिर कभी शादी नहीं की… प्यार खोने का दर्द रतन टाटा के साथ जीवन भर रहा. उन्होंने एक बार कहा था कि भारत की सबसे अमीर कंपनियों के टॉप पर बैठे होने के बावजूद, मेरी कोई पत्नी या कोई बच्चा नहीं है जिसे मैं अपनी विरासत दे सकूं. मैंने कई मौकों पर उस अकेलेपन को महसूस किया है.
अब उनके निधन के बाद सबका ध्यान टाटा समूह के भविष्य के नेतृत्व की ओर है. टाटा के परिवार के नए उभरते हुए सदस्य धीरे-धीरे इस विशाल समूह में अपनी जगह बना रहे हैं. रतन टाटा का उत्तराधिकार केवल नेतृत्व की बात नहीं है, बल्कि यह टाटा समूह की समाज सुधार की परियोजनाओं और व्यापारिक धरोहर को आगे ले जाने का भी सवाल है.
रतन टाटा ने 2012 में चेयरमैन का पद छोड़ा, लेकिन वे टाटा संस, टाटा इंडस्ट्रीज, टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, और टाटा केमिकल्स के चेयरमैन एमेरिटस बने रहे।. इसके अलावा, वे टाटा ट्रस्ट्स के कामों का नेतृत्व भी करते रहे, जो भारत में परोपकार के लिए एक प्रमुख संस्था है.
संभावित उत्तराधिकारी:
ग्रुप के उभरते सितारों में नोएल नवल टाटा (Noel Naval Tata) के तीन बच्चे – लिया, माया और नेविल शामिल हैं. ये सभी टाटा समूह में अपनी भूमिका निभा रहे हैं, पेशेवरों की तरह विभिन्न पदों पर आगे बढ़ रहे हैं.
नोएल टाटा:
रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा को टाटा ग्रुप का सम्भावित उत्तराधिकारी माना जा रहा है. वह टाइटन सहित टाटा की कई कंपनियों में बोर्ड मेंबर है. बता दें कि रतन टाटा ने शादी नहीं की थी और उनकी कोई संतान नहीं है. ऐसे में नोएल टाटा को रतन टाटा का उत्तराधिकारी भी माना जा रहा है.
लिया टाटा (Leah Tata):
लिया टाटा, नोएल नवल टाटा की सबसे बड़ी संतान है. उन्होंने मैड्रिड, स्पेन के IE बिजनेस स्कूल से मार्केटिंग में मास्टर डिग्री प्राप्त की है. 2006 में उन्होंने टाटा समूह के साथ ताज होटल्स रिसॉर्ट्स एंड पैलेसेज में असिस्टेंट सेल्स मैनेजर के रूप में अपनी यात्रा शुरू की और अब वे इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड (IHCL) में वाइस प्रेसिडेंट के पद पर कार्यरत हैं.
माया टाटा (Maya Tata):
माया टाटा, जो छोटी बेटी हैं, ने टाटा कैपिटल में एक एनालिस्ट के रूप में अपने करियर की शुरुआत की, जबकि उनके भाई नेविल टाटा ने अपने करियर की शुरुआत ट्रेंट से की, जो उनके पिता द्वारा स्थापित एक प्रमुख रिटेल चेन है.
नेविल टाटा (Neville Tata):
टाटा समूह की रिटेल शाखा में सक्रिय नेविल टाटा वर्तमान में स्टार बाजार का नेतृत्व कर रहे हैं. नेविल की शादी मानसी किर्लोस्कर से हुई है, जो टोयोटा किर्लोस्कर समूह की उत्तराधिकारी हैं.
रतन टाटा का सफ़र:
गौरतलब है कि रतन टाटा का सफर प्रेरणादायक और बदलाव से भरा रहा. 1991 में टाटा समूह की बागडोर संभालने के बाद, उन्होंने वैश्विक विस्तार किया और टाटा टी, टाटा मोटर्स, टाटा स्टील जैसी कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहुँचाया. साल 2012 में चेयरमैन पद छोड़ने के बाद भी वे टाटा ट्रस्ट्स के ज़रिए समाज सेवा में सक्रिय रहे.