देहरादूनः उत्तराखंड में यूसीसी (UCC) लागू हो गया है। एक और जहां इसका विरोध हो रहा है तो वहीं कुछ इसकी सराहना कर रहे है। इस बीच सबसे ज्यादा चर्चा लिव-इन में रहने के नियमों को लेकर हो रही है। बताया जा रहा है कि अब उत्तराखंड में लिव-इन में रहने के लिए धर्म गुरुओं (पुजारी, पादरी और मौलाना) के चक्कर लगाने पड़ेंगे। नये नियमों के मुताबिक, अगर उत्तराखंड में लिव-इन में रहना है तो 16 पेज का एक फॉर्म भरना होगा। इतना ही नहीं अब मकान मालिकों को भी सावधान रहना होगा। किराए के अनुबंध को अंतिम रूप देने से पहले लिव-इन प्रमाणपत्र की अनदेखी करने वाले मकान मालिकों पर 20,000 का जुर्माना लगाया जाएगा। आइए जानते है क्या है नियम,क्या धर्म गुरुओं से भी अनिवार्य रूप से लेना होगा प्रमाणपत्र ?
एक महीने के भीतर पंजीकरण जरूरी, इतना लगेगा शुल्क
दरअसल, उत्तराखंड में लिव-इन जोड़ों के लिए अपने रिश्ते को पंजीकृत करना अनिवार्य है, साथ ही मकान मालिकों को किराए के अनुबंध को अंतिम रूप देने से पहले प्रमाणपत्र को सत्यापित करना होगा। किरायेदारों के लिव-इन पंजीकरण प्रमाणपत्रों को सत्यापित करने में विफल रहने पर 20,000 रुपये तक का जुर्माना देना होगा। वहीं उत्तराखंड में लिव-इन जोड़ों को 500 रुपये का पंजीकरण शुल्क देना होगा, साथ ही अगर वे रिश्ते में प्रवेश करने के एक महीने के भीतर पंजीकरण करने में विफल रहते हैं तो उन्हें अतिरिक्त 1,000 “विलंब शुल्क” देना होगा. यदि रिश्ता समाप्त हो जाता है, तो पंजीकरण प्रक्रिया के लिए 500 रुपये का अतिरिक्त शुल्क लिया जाएगा।
धर्म गुरुओं से क्या प्रमाणपत्र लेना अनिवार्य?
वहीं कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में सवाल उठाया गया है कि लिव इन रिलेशनशिप पंजीकरण के लिए धर्म गुरुओं से प्रमाणपत्र अनिवार्य रूप से लेना होगा। इस पर यूसीसी नियमावली कमेटी के सदस्य मनु गौड़ ने इसको लेकर स्पष्ट जानकारी साझा की है। मनु गौड़ के मुताबिक, ऐसा उन रिश्तों के मामलों में करना होगा, जिन रिश्तों के बीच विवाह, प्रतिषिद्ध है, ऐसे रिश्तों का उल्लेख संहिता की अनुसूची 01 में स्पष्ट किया गया है। उत्तराखंड में लिव इन रजिस्ट्रेशन के लिए सिर्फ निवास, जन्म तिथि, आधार और किराएदारी के मामले में किराएदारी से संबंधित दस्तावेज ही प्रस्तुत करने होंगे। इसके अलावा जिन लोगों का पहले तलाक हो चुका है, उन्हें विवाह खत्म होने का कानूनी आदेश प्रस्तुत करना होगा। साथ ही जिनके पति या पत्नी की मृत्यु हो चुकी है, या जिनका पहले में लिव इन रिलेशनशिप समाप्त हो चुका है, उन्हे इससे संबंधित दस्तावेज पंजीकरण के समय देने होंगे।
बताया जा रहा है कि अगर किसी का पूर्व में कोई रिश्ता रह चुका है और वह अनुसूची 01 में दर्ज प्रतिषिद्ध श्रेणी में आता है तो ऐसी स्थिति में धर्म गुरु से अनिवार्य रूप से प्रमाण पत्र की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में इस तरह के रिश्तों में विवाह करने वालों की संख्या बहुत कम है। वहीं, जिन समाजों में प्रतिषिद्ध श्रेणी के रिश्तों में विवाह होता है, वो भी धर्मगुरुओं के प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने पर अपना पंजीकरण करा सकते हैं। यूसीसी के तहत उत्तराखंड में एक साल से रहने वाला कोई भी व्यक्ति अपना पंजीकरण करवा सकता है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में दूसरे प्रदेशों के लोग भी यहां रह रहे हैं और वह सरकारी योजनाओं का लाभ ले रहे हैं, ऐसे में पंजीकरण कराने पर ही सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे।