VIDEO: इंडिया वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज कराया नाम, जान की बाजी लगाकर प्रदेश का रोशन किया नाम
मां ने आर्थिक तंगी को नहीं आने दिया आडे, लोन लेकर हौसलों को चढ़ाया परवाह, काम न आई सरकार
खबरनामा/देहरादूनः उत्तराखंड की होनहार बेटी श्रद्धा बछेती ने एक बार फिर प्रदेश का मान बढ़ाया है। उन्होंने भरतनाट्यम कला का शानदार प्रदर्शन करते हुए अपना नाम इंडिया वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड Bharatnatyam dancer Shraddha Bacheti made world record में दर्ज करवा लिया है।
श्रद्धा ने अपनी भगवान शिव के प्रति श्रद्धा दिखाते हुए अपनी जान की परवाह किए बिना ऐसा कारनामा कर दिखाया जो कोई सोच भी नहीं सकता। जी हां कई तरह की स्वास्थ्य परेशानियों से जूझ रही श्रद्धा ने हाइएस्ट शिवा टेंपल तुंगनाथ में भटनाट्यम नृत्य और कैलीग्राफी का 1 घंटा 30 मिनट का न टूटने वाला अनब्रेकेबल रिकॉर्ड बन गया है। उनकी इस उपलब्धि पर उन्हें बधाई देने वालों का तांता लग गया है।
खबरनामा ऑनलाइन से फोन पर बात करते हुए श्रद्धा ने बताया कि मूल रूप से पौड़ी निवास अंतराष्ट्रीय भरतनाट्यम नृत्यांगना गुरु श्रद्धा बछेती पुत्री स्वर्गीय सुरेश बछेती भगवान की शिव की भक्त है। वह देहरादून में अपनी मां के साथ रहती है। उनकी शिक्षा देहरादून में हुई है। उन्होंने जहां बीसीए किया है तो वहीं भरतनाट्यम में एमए किया है। उन्होंने आज तुंगनाथ में शिवा तांडव प्रस्तुति दी है। उनके गणवेश में देहरादून के ही प्रतिभाशाली युवक अभिषेक ने कैलीग्राफी की है। अभिषेश भी दून निवासी है। और उन्होंने ग्रेजुएशन किया है। जब तक उनका नृत्य चलता रहा तब तक अभिषेक गणवेश और सामने रखे केनवास में शिव प्रतिमा बनाते रहे।
वहीं खबरनामा ऑनलाइन से बात करते हुए श्रद्धा की इस उपलब्धि पर उनकी माता दीपा बछेती ने बताया कि श्रद्धा हमेशा भरतनाट्यम के द्वारा प्रदेश का नाम रोशन करती है। इस रिकॉर्ड को बनाने के लिए उन्होंने आर्थिक से लेकर स्वास्थ्य तक पर परेशानी को अपने हौसलों के आगे नहीं आने दिया है। उनकी बीते छः माह में कई सर्जरी हुई है। वह अभी भी सीधा पैर नहीं रख सकती है। डॉक्टर ने इस रिकॉर्ड के लिए उनके जान के खतरे तक बता दिया। पर श्रद्धा ने कदम पीछे नहीं किए।
इतना ही नहीं दीपा बछेती ने बताया कि श्रद्धा लगातार अपनी लगन और कला से प्रदेश का नाम रोशन कर रही है। उन्हें कई सम्मान और अवॉर्ड भी मिले है। इस रिकॉर्ड को बनाने के लिए लाखों रुपए का खर्च आना था। जिसके लिए उन्होंने शासन-प्रशासन से मदद मांगी। संस्कृत विभाग के भी चक्कर लगाए सीएम धामी से भी मिलने के प्रयास किए। लेकिन सरकार ने उनकी किसी भी प्रकार की मदद नहीं की। उन्होंने बेटी को लोन लेकर दिया। जिसके बाद अकेले दम पर श्रद्धा ने सब परमिशन लेकर ये रिकॉर्ड बनाया है। श्रद्धा मंगलवार शाम तक दून पहुंचने वाली है। वह अभी यहीं रुकने वाली नहीं है वह अगले माह अब चारधाम यात्रा में रिकॉर्ड बनाने के लिए जाएगी।