हल्दूचौड़ फायरिंग में मुख्य आरोपी अभी भी फरार, सत्ताधारी दल के संरक्षण में छात्रसंघ अध्यक्षों की पुलिस को चुनौती

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कार्तिक रजवार और मोहित जोशी की अभी तक नहीं हुई गिरफ्तारी, उठ रहें सवाल

हल्दूचौड़ः शहर में फायरिंग की गंभीर घटना के मुख्य आरोपी, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष मोहित जोशी और उनके साथी कार्तिक रजवार अभी तक पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। पुलिस द्वारा की गई कार्यवाही अब एक बड़े सवाल के घेरे में है, क्योंकि 24 घंटे के भीतर गिरफ्तारी के एसएसपी के दावों के बावजूद, दोनों मुख्य आरोपी अब तक फरार हैं। यह न केवल पुलिस प्रशासन की असफलता है, बल्कि सत्ताधारी दल के दबाव में काम करने का स्पष्ट संकेत भी है।बीते दिनों हुई इस घटना में पूर्व सैनिक कैलाश चंद्र पर हमला हुआ, जिसमें जान से मारने की कोशिश करते हुए उनपर फ़ायरिंग भी झोंकी गयी।

पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए कई आरोपियों को गिरफ्तार करने का दावा किया, लेकिन क्षेत्रीय लोगों का आरोप है कि असली अपराधी पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं और सत्ता के प्रभाव में संरक्षित हैं।
चर्चाओं के अनुसार, पुलिस ने वास्तविक आरोपी मोहित जोशी की जगह एक अन्य मोहित जोशी को गिरफ्तार किया और मीडिया में इसे प्रचारित किया। यह कदम पुलिस की कार्यवाही पर सवाल खड़े करता है और जनता में यह चर्चा आम है कि इस मामले में बड़े सत्ताधारी नेताओं का हाथ है, जिनके दबाव में पुलिस निष्क्रिय बनी हुई है।
घटना के तुरंत बाद, एसएसपी प्रह्लाद मीणा द्वारा मीडिया में बयान दिया गया था कि पुलिस ने सभी आरोपियों को 24 घंटे के भीतर गिरफ्तार कर लिया है। हालांकि, हकीकत में मुख्य आरोपीयो में शामिल कार्तिक रजवार और मोहित जोशी अभी भी फरार हैं। पुलिस ने आरोपियों की तलाश के लिए कई जगह छापेमारी की है, परंतु इन दोनों का कोई सुराग अब तक नहीं मिला। एसपी द्वारा दी गई जानकारी और जमीनी हकीकत में बड़ा अंतर साफ तौर पर देखा जा सकता है, जिससे पुलिस प्रशासन की साख पर सवाल खड़े हो गए हैं।

बताते चले कि कार्तिक रजवार पर पहले भी कई संगीन आरोप लगे हैं। वह पहले भी अपने साथियों के साथ पिस्तौल लेकर कॉलेज के भीतर धमकाने के आरोपों में घिर चुका है, जिसमें पूर्व कोषाध्यक्ष मुकेश जोशी के साथ कॉलेज परिसर में हुई घटना भी शामिल है। इसके बावजूद, पुलिस ने उस समय कोई ठोस कार्यवाही नहीं की, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सत्ता के प्रभाव ने पुलिस की निष्पक्षता को कमजोर कर दिया है।मोहित जोशी, जो लाल बहादुर शास्त्री महाविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुके हैं, पर भी सत्ताधारी दल के दखल से पुलिस हाथ डालने में बाख रही है। हालिया घटना ने यह साबित कर दिया है कि पुलिस इन आरोपियों को पकड़ने में नाकाम रही है, जबकि एसएसपी लगातार अपनी पीठ थपथपाने वाले बयान दे रहे हैं।
इस मामले को लेकर क्षेत्रीय जनता में भारी आक्रोश है। लोगों का कहना है कि पुलिस प्रशासन, सत्ताधारी दल के नेताओं के दबाव में काम कर रहा है और असली अपराधियों को बचाने की कोशिश की जा रही है। जनता की चर्चा में यह भी बात सामने आ रही है कि दोनों आरोपी बड़े सत्ताधारी नेताओं से सीधे संपर्क में हैं, जिसके चलते पुलिस उनके खिलाफ कोई ठोस कदम उठाने में असफल साबित हो रही है।
सूत्रों के मुताबिक, मोहित जोशी और कार्तिक रजवार दोनों अदालत में आत्मसमर्पण कर अग्रिम जमानत लेने की योजना बना रहे हैं। इस मामले के लिए कई वकीलों की टीम पहले ही तैयार है, जो उन्हें तुरंत बेल दिलाने के लिए आवश्यक कानूनी प्रक्रिया को अंजाम देगी। यह स्थिति पुलिस की कार्यवाही और एसएसपी के दावों की असफलता को और अधिक स्पष्ट करती है।
अब यह देखना होगा कि पुलिस प्रशासन इन आरोपियों को पकड़ने में सफल होता है या फिर जनता द्वारा लगाए जा रहे सत्ता के दबाव के आरोप सही साबित होते हैं। यदि जल्द ही कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो इस घटना से पुलिस और प्रशासन की विश्वसनीयता पर गंभीर असर पड़ सकता है। इस मामले में पूर्व सैनिकों के उत्तराखंड के सबसे बड़े संगठन गौरव सेनानी संगठन के चित्रपाल सजवाण का स्पष्ट कहना है कि पूर्व फौजियों पर हुए हमले केवल एक फौजी पर हमला नहीं बल्कि संपूर्ण पूर्व फौजियों पर वह भारतीय सेवा पर हमले के समान है अगर इस मामले में तत्काल कार्यवाही पुलिस द्वारा नहीं की जाती तो गर्भ सेनानी संगठन के साथ प्रदेश के पूर्व सैनिकों के संगठन भी जल्द पूर्व सैनिक कैलाश बरखानी से मिलने आएंगे वह उन्हें आवश्यक सहयोग भी प्रदान करेंगे उनका स्पष्ट कहना है कि पूर्व सैनिक को किसी तरीके के दबाव में आकर किसी समझते को करने की आवश्यकता नहीं है एक पूर्व सैनिक पर किया गया हमला सीधा-सीधा भारतीय सेवा का अपमान है जिसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।


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