देहरादूनः उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और चिन्हित राज्य आंदोलनकारी सयुंक्त समिति के केंद्रीय मुख्य संरक्षक धीरेंद्र प्रताप ने समिति की उत्तरकाशी इकाई के अध्यक्ष और भटवाड़ी के पूर्व गेस्ट प्रमुख जगमोहन सिंह रावत के असामयिक के निधन पर गहरा दुख और शोक व्यक्त किया है।
धीरेंद्र प्रताप ने स्वर्गीय जगमोहन सिंह रावत को उत्तरकाशी का राज्य आंदोलन का शेर बताते हुए कहा कि उन्होंने आजीवन उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन और उसके बाद उत्तरकाशी के विकास के लिए कार्य किया। उन्होंने दियारा बुग्याल को प्रतिष्ठित करने में मुख्य भूमिका निभाई ,वही उन्होंने उत्तरकाशी में खेती-बाड़ी के कामों को भी आगे बढ़ाने में विशेष योगदान दिया ।
उन्होंने कहा कि वह चिन्हित राज्य आंदोलनकारी सयुंक्त समिति के उत्तरकाशी जनपद के अध्यक्ष थे और उन्होंने राज्य आंदोलनकारी के विकास और उनके सपनों के अनुरूप उत्तरकाशी को आगे बढ़ाने में विशेष योगदान दिया। उन्होंने कहा उनके निधन से उत्तरकाशी और उत्तराखंड ने अपना एक योग्य सपूत खो दिया है।
राज्य आंदोलन के लिए एक झटका
उल्लेखनीय है उनका हृदयाघात से निधन हो गया था । चिन्हित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति के केंद्रीय अध्यक्ष हरिकृष्ण भट्ट, कार्यकारी अध्यक्ष डॉक्टर विजेंद्र पोखरिया , केंद्रीय अभियान समिति के अध्यक्ष अवतार सिंह बिष्ट, उपाध्यक्ष बाल गोविंद डोभाल और महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष सावित्री नेगी ने भी जगमोहन सिंह रावत के निधन को राज्य आंदोलन के लिए एक झटका बताया है ।
राजकीय सम्मान न दिए जाने पर जताया दुख
वहीं उन्होंने दिन प्रतिदिन उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन के चिन्हित आंदोलनकारियों को उनकी मृत्यु के उपरांत उनकी अंत्येष्टि के अवसर पर राजकीय सम्मान न दिए जाने पर गहरा दुख, शोक और आक्रोश व्यक्त किया है ।
भाजपा ने समाप्त कर दी परंपरा
धीरेंद्र प्रताप ने कहा है कि जिन लोगों ने उत्तराखंड के लिए खून बहाया आज उनको सम्मान देने में सरकार पीछे हट रही है ।उन्होंने कहा कि जब स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री थे उन्होंने तभी यह आदेश जारी करवाया था जो भी आंदोलनकारी दिवंगत होंगे उनको राजकीय सम्मान दिया जाएगा और कोई ना कोई सरकारी अधिकारी पुष्प चक्र लेकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने जाएगा।
उन्होंने अफसोस किया कि जब से भाजपा सरकार में आई है परंपरा समाप्त कर दी गई है उन्होंने मुख्यमंत्री से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप किए जाने की मांग करते हुए कहा है कि राज्य आंदोलनकारी को उनकी सेवाओं के लिए राजकीय सम्मान मिलना ही चाहिए जिससे संदेश जाए सरकार उनके राज्य आंदोलन में विशिष्ट योगदान का सम्मान करती है।