अंबेडकर एक व्यक्ति नहीं विचार है, शिक्षित बनने का दिया मूलमंत्र-धस्माना

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देहरादून : आजाद भारत को एक समावेशी संविधान देने वाले डॉक्टर भीम राव अंबेडकर मात्र एक व्यक्ति नहीं बल्कि एक विचारधारा है और उनका बताया मूल मंत्र शिक्षित बनो संगठित हो और संघर्ष करो हमेशा दबे कुचले शोषित पीड़ित समाज को दिशा देता रहा है और युगों युगों तक दिशा देता रहेगा यह बात आज भारत रत्न डॉक्टर भीम राव अंबेडकर की जयंती के अवसर पर अंबेडकर महासंघ द्वारा कांवली के शास्रिनगर खाला स्थित अंबेडकर सामुदायिक केंद्र में आयोजित संविधान बचाओ संकल्प दिवस के अवसर पर जन समुदाय को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कही।

उन्होंने कहा कि डॉक्टर अंबेडकर ने एक अत्यंत गरीब अनुसूचित जाति के परिवार में जन्म ले कर उस समय समाज में विद्यमान सारी सामाजिक बुराइयों व विषमताओं का मुक़ाबला करते हुए उच्चतम शिक्षा ग्रहण की व अपनी विद्वता अपने विचार व अपनी क्षमताओं को समाज को समर्पित कर दिया। श्री धस्माना ने कहा कि डॉक्टर अंबेडकर ने न केवल अनुसूचित व पिछड़ी जातियों के लिए बल्कि आधी आबादी महिलाओं के लिए अपना चिंतन समर्पित किया।

उन्होंने कहा कि डॉक्टर भीम राव अंबेडकर की अध्यक्षता वाली संविधान सभा ने आजाद भारत के लोगों के लिए जो संविधान तैयार किया उस संविधान को आज प्रतिक्रियावादी व समाज को जाती धर्म के नाम पर बांटने वाली शक्तियां नष्ट भ्रष्ट करना चाहती हैं इसलिए आज अगर बाबा साहेब को हम सच्ची श्रद्धांजलि देना चाहते हैं तो हमें उन शक्तियों को पराजित करने का संकल्प लेना होगा। धस्माना ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों से इस बात की शपथ व संकल्प करवाया।
इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अंबेडकर महासंघ के अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह राज ने कहा कि आज पूरा विश्व का शोषित समाज डॉक्टर भीम राव अंबेडकर से प्रेरणा ले कर अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करता है। कार्यक्रम का संचालन सलीम अंसारी ने किया व अवधेश कथीरिया, संजय कटारिया आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये।


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