देहरादून। निकाय चुनाव में उतरे महारथियों ने खुलकर लंगर चालू कर दिए हैं। यही नहीं कच्ची और देशी दारू के अलावा अंग्रेजी शराब की भी भरपूर व्यवस्था की गई है। कुछ ने तो निजी भवनों, विवाह गृह स्थलों तक को किराए पर ले लिया है। इसी के साथ वेज और नॉन वेज व्यंजनों के लिए पर्ची सिस्टम लागू किया गया है। प्रत्याशियों ने अपने कुछ खास नुमाइंदों को इसका इंचार्ज बना रखा है, जो फरमाइश के हिसाब से मतदाता को किसी होटल की पर्ची थमा देते हैं।
चुनाव के दौरान किसी खास राजनैतिक दल अथवा प्रत्याशी के प्रति मतदान करने के लिए मतदाता को किसी भी प्रकार के प्रलोभन न देने के साफ निर्देश हैं। चुनाव आचार संहिता के प्रावधानों के तहत संबंधित जिला प्रशासन भी इस मौके पर कड़े निर्देश जारी करता है। इस पर प्रभावी निगरानी और कार्रवाई के लिए व्यापक स्तर पर इंतजाम भी किए जाते हैं।इसके बावजूद राजनैतिक दल से चुनाव मैदान में उतरा प्रत्याशी हो या निर्दलीय; कोई न कोई तरीका निकाल ही लेते हैं। कुछ यही हाल इस निकाय चुनाव में भी दिखाई पड़ रहा है।
निकाय चुनाव में उतरे महारथियों ने खुलकर लंगर चालू कर दिए हैं। कच्ची और देशी दारू के अलावा अंग्रेजी शराब भी उपलब्ध कराई जा रही है। इसके लिए कुछ ने निजी भवनों, विवाह गृह स्थलों तक को किराए पर ले लिया है। बताया जाता है कि वेज और नॉन वेज व्यंजनों के लिए पर्ची सिस्टम लागू किया गया है। प्रत्याशियों के चुने हुए नुमाइंदे, मतदाता को उसकी फरमाइश के हिसाब पहले से निर्धारित होटल की पर्ची थमा रहे हैं। इन आश्रय स्थलों पर उमड़ी भीड़ की मारामारी देर रात तक देखी जा सकती है। यह बात विचारणीय है कि इन व्यवस्थाओं से जब आम मतदाता, जनता वाकिफ है तो पुलिस प्रशासन कैसे अनजान है?
गौरतलब है कि पिछले विधान सभा चुनाव में आबकारी विभाग की अलग-अलग टीमों ने आठों विधानसभा क्षेत्रों में एक महीने अभियान चला कर एक करोड़ से ज्यादा की 52 हजार लीटर अवैध शराब पकड़ी थी। आयोग ने चुनाव में शराब परोसे जाने की प्रबल आशंका को लेकर पहले ही दिशा निर्देश जारी कर दिए थे। खादर इलाकों में दबिश देकर कच्ची शराब की भट्ठियां नष्ट कराने के साथ ही अवैध शराब बरामद की गई। उत्तराखंड की सीमा पर भी शराब की तस्करी को रोकने के लिए खास इंतजाम किए गए। हाईवे के साथ साथ उत्तराखंड से जोड़ रहे कच्चे रास्तों पर भी टीमों की निगाह रही।