निकाय चुनावः किसके सर सजेगा देहरादून मेयर का ताज, क्या उम्मीदवारों संग होगा भीतरघात; पढ़ें रिपोर्ट

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देहरादून: उत्तराखण्ड में निकाय और पंचायत चुनाव का शोर चप्पे-चप्पे पर मचने लगा है लेकिन भाजपा व कांग्रेस के लिए देहरादून शहर के मेयर की कुर्सी उसके लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनी हुई है और राजधानी के मेयर की जीत मुख्यमंत्री के लिए सबसे अहम मानी जा रही है क्योंकि देहरादून मेयर की जीत का इकबाल का शोर राज्यभर में मचता है। कांग्रेस और भाजपा ने मेयर उम्मीदवार के रूप मे जिन राजनेताओं को मैदान मे उतारा है उन दोनो का ही राजनीतिक क्षेत्र मे वर्चस्व काफी माना जाता है। अब देखना होगा कि किसके सर सजता जीत का ताज।

क्या होगा पर्दे के पीछे से कांग्रेसी उम्मीदवार के साथ भीतरघात का शातिराना खेल

कांग्रेस प्रत्याशी आंदोलनकारी और छात्र नेता रहे हैं और उनकी शालीनता हर इंसान को खूब भाति है इसलिए उनकी चुनावी रणभूमि मे जीत के लिए सारी कांग्रेस एक साथ खडे हुये नजर आ रही है लेकिन यह भी आशंका पनप रही है कि पार्टी के एक-दो नेता कांग्रेसी उम्मीदवार के साथ भीतरघात का शातिराना खेल पर्दे के पीछे रहकर खेल सकते हैं और इस भीतरघात को लेकर पार्टी के कुछ नेता भी अभी दबी जुबान मे इसे स्वीकार कर रहे हैं? वहीं भाजपा की ओर से युवा नेता चुनावी रणभूमि मे हैं और वह पार्टी के सभी नेताओं का आशीर्वाद लेने के लिए आये दिन उनके घर पर दस्तक दे रहे हैं। मुख्यमंत्री के करीबी माने जाने वाले भाजपा उम्मीदवार को चुनावी रण जीताने के लिए सरकार व संगठन एक साथ खडा हुआ दिखाई दे रहा है लेकिन इस चुनाव में पार्टी उम्मीदवार के साथ कोई भीतरघात नहीं करेगा इसकी कोई गारंटी नहीं मानी जा सकती? राजधानी में हर तरफ यही बहस छिडी हुई है कि शहर का मेयर कौन होगा?

गहन मंथन के बाद मिला टिकट

उत्तराखण्ड में निकाय व पंचायत चुनाव का बिगुल बज चुका है और देहरादून शहर के मेयर उम्मीदवार को लेकर भाजपा व कांग्रेस मे खूब जोर अजमाईश हुई थी। कांग्रेस की ओर से अभिनव थापर, नवीन जोशी, सूर्यकांत धस्माना, पूर्व मंत्री हीरा सिंह बिष्ट और आंदोलनकारी व छात्र नेता वीरेन्द्र पोखरियाल का नाम मेयर उम्मीदवार के रूप में शामिल था और आखिर में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने लम्बा मंथन और चिंतन करने के बाद वीरेन्द्र पोखरियाल को मेयर उम्मीदवार के रूप में मैदान मे उतारा तो वहीं भाजपा की ओर से तत्कालीन मेयर रहे सुनील उनियाल गामा, सौरभ थपलियाल, सिद्धार्थ अग्रवाल, पुनीत मित्तल और अनिल गोयल का नाम भी मेयर उम्मीदवार के रूप में लिया जा रहा था लेकिन चर्चा है कि सौरभ थपलियाल भाजपा के कुछ बडे नेताओं की पहली पसंद बना और उसके चलते भाजपा ने सौरभ थपलियाल को मेयर प्रत्याशी बनाया।

चुनाव जीतने के मिशन में जुटे प्रत्याशी

सौरभ थपलियाल को राजनीतिक हल्को मे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का काफी करीबी माना जाता है और जब सौरभ थपलियाल के नाम की घोषणा मेयर प्रत्याशी के रूप मे हुई तो उसी दिन शाम को सौरभ थपलियाल और उनके काफी समर्थक मुख्यमंत्री का थैक्स बोलने के लिए उनके सरकारी आवास पर गये थे। शहर के मेयर की जीत हार भाजपा व कांग्रेस ने अपनी प्रतिष्ठा से जोड ली है और दोनो राजनीतिक दल मेयर की कुर्सी पर अपने प्रत्याशी को चुनाव जीताने के मिशन में जुट गये हैं।

बेहद रोचक माना जा रहा मुकाबला

मेयर प्रत्याशी के रूप मे वीरेन्द्र पोखरियाल और सौरभ थपलियाल में चुनाव बेहद रोचक होना माना जा रहा है क्योंकि वीरेन्द्र पोखरियाल आंदोलनकारी के साथ-साथ छात्र राजनीति मे भी हमेशा सक्रिय रहे हैं और उनका कांग्रेस परिवार में और आवाम के साथ मधुर मिलन किसी से छिपा नहीं है और उन्हें एक सशक्त उम्मीदवार के रूप में शहर की जनता देख रही है। वहीं सौरभ थपलियाल भी युवा राजनेता हैं और डोईवाला इलाके में उनका राजनीतिक रूतबा किसी से छिपा नहीं है तो वहीं भाजपा का सारा कुनबा उन्हें चुनाव जीताने के लिए आगे खडा रहेगा यह तो अभी कहना जल्दबाजी है लेकिन सौरभ थपलियाल जिस तरह से भाजपा के हर दिग्गज राजनेता की चौखट पर जाकर उनका आशीर्वाद ले रहे हैं वह उनके लिए सुखद ही दिखाई दे रहा है। वहीं मेयर की जीत की प्रतिष्ठा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से जुटी हुई है इसलिए वह समूची भाजपा को एक साथ लाकर पार्टी उम्मीदवार सौरभ थपलियाल को चुनावी रणभूमि में जीताने के लिए एक बडी रणनीति तैयार करेंगे इसमें कोई शंका नजर नहीं आती।


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