उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने CM को भेजा ज्ञापन, राज्य में सेवा विस्तार नीति पर रोक की मांग

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देहरादून: उत्तराखंड में युवाओं की बढ़ती बेरोजगारी को लेकर उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से एक विशेष मांग की है कि रिटायरमेंट की उम्र पार कर चुके कर्मचारियों को राज्य सरकार द्वारा सेवा विस्तार न दिया जाए। संघ का तर्क है कि यह नीति युवाओं के रोजगार अवसरों पर नकारात्मक असर डाल रही है, जिससे प्रदेश में बेरोजगारी की दर बढ़ रही है।

उत्तराखंड बेरोजगार संघ के महासचिव द्वारा जारी ज्ञापन में बताया गया है कि इस समय राज्य में विभिन्न विभागों में कई वरिष्ठ अधिकारी रिटायरमेंट के बाद भी सेवा विस्तार पर कार्यरत हैं, जिससे राज्य सरकार पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है। संघ ने यह भी आरोप लगाया है कि सेवा विस्तार प्रक्रिया में “सेटिंग-गेटिंग” का खेल चल रहा है, जो कि राज्यहित के खिलाफ है। महासचिव का कहना है कि ऐसे अधिकारी नई नीतियों में सहयोग करने के बजाय राज्य के संसाधनों का दुरुपयोग कर रहे हैं।

बेरोजगारी पर उत्तराखंड बेरोजगार संघ का रुख :

उत्तराखंड बेरोजगार संघ का मानना है कि राज्य में बेरोजगारी की स्थिति चिंताजनक है, और सेवा विस्तार से यह और बढ़ रही है। संघ के अनुसार, युवाओं में राज्य की सेवा में कार्य करने की इच्छा और नवाचार लाने की क्षमता होती है, लेकिन उन्हें अवसर न मिलने से वे निराश हैं। संघ का कहना है कि 31 दिसंबर 2024 तक राज्य के सभी विभागों में सेवा विस्तार पाने वाले अधिकारियों का ब्यौरा सार्वजनिक किया जाए ताकि आम जनता को इसकी पारदर्शिता परखने का मौका मिले।

उत्तराखंड बेरोजगार संघ की प्रमुख मांगें :

  1. युवाओं को नौकरी के अवसर मिले:संघ ने मांग की है कि सेवानिवृत्त अधिकारियों के स्थान पर नए युवाओं की भर्ती की जाए ताकि वे प्रदेश के विकास में योगदान दे सकें।
  2. सेवा विस्तार की प्रक्रिया में पारदर्शिता: संघ ने सभी सरकारी कार्यालयों में सेवा विस्तार पाने वाले अधिकारियों का ब्यौरा सार्वजनिक करने की मांग की है।
  3. विशेष मामलों में ही सेवा विस्तार हो: संघ का कहना है कि केवल अद्वितीय विशेषज्ञता रखने वाले अधिकारियों को ही सेवा विस्तार दिया जाए।
  4. सेवा विस्तार की परंपरा पर रोक: संघ ने सरकार से इस नीति को समाप्त करने की मांग की है, ताकि राज्य का भविष्य युवा शक्ति के हाथों में सुरक्षित रह सके। उत्तराखंड बेरोजगार संघ के आंदोलन ने कहा कि अगर सरकार ने इन मांगों पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने अपने आंदोलन को तीन चरणों में करने की योजना बनाई है।
  • पहला चरण – अनुरोध: उत्तराखंड बेरोजगार संघ सरकार से तत्काल सुधार की मांग करेगा।
  • दूसरा चरण – चेतावनी: सरकार से अपेक्षित कार्रवाई न होने पर प्रदर्शन की चेतावनी दी जाएगी।
  • तीसरा चरण – एक्शन: संघ ने स्पष्ट किया है कि यदि उपरोक्त 02 चरणों के बाद भी कार्रवाई नहीं होती है तो अपने तरीके से राज्य हित एवं युवाओं के हित में एक्शन लेंगे ।

उत्तराखंड बेरोजगार संघ, जो लंबे समय से राज्य में रोजगार और भर्ती परीक्षाओं की पारदर्शिता पर सवाल उठाता रहा है, ने इससे पहले फरवरी 2023 में भर्ती घोटालों के खिलाफ आंदोलन किया था। उस दौरान, उत्तराखंड बेरोजगार संघ के सदस्यों और युवाओं पर पुलिस ने बल प्रयोग किया था, जिससे कई प्रदर्शनकारी घायल हुए थे और कुछ गिरफ्तार भी हुए थे। संघ ने तब राज्यव्यापी बंद का भी आह्वान किया था, जो कि राज्यभर में समर्थन और चर्चा का विषय बना।

यह ज्ञापन इस बात का संकेत देता है कि उत्तराखंड बेरोजगार संघ राज्य में बेरोजगारी और सेवा विस्तार जैसी नीतियों के खिलाफ अपनी आवाज को मुखर करेगा। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या सरकार इन मांगों को स्वीकार कर राज्यहित में कोई ठोस कदम उठाती है।


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