ट्रांसप्लांट के लिए अब मरीज को नहीं करना होगा इंतजार, सरकार ने पहली बार अंगों के ट्रासपोर्टेशन के लिए जारी किए निदेश

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने पहली बार अंगों के ट्रासपोर्टेशन को लेकर दिशा-निदेश जारी किए हैं ताकि कम से कम समय में अंग प्रत्यारोपण कर जिंदगी की जंग जीती जा सके। सड़क, रेलवे से लेकर वायुमार्ग और जलमार्ग जैसे यात्रा के विभिन्न साधनों के जरिये मानव अंगों के निर्बाध परिवहन के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) लेकर आया है।

यह एसओपी देशभर में अंग प्रत्यारोपण में शामिल लोगों के लिए एक मार्गदर्शक दस्तावेज के रूप में काम करेगी। अंग परिवहन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के पीछे केंद्र का लक्ष्य कीमती अंगों का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करना और जीवन-रक्षक प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा कर रहे अनगिनत रोगियों को आशा प्रदान करना है।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने कहा- ‘यह एसओपी देशभर में अंग पुनर्प्राप्ति और प्रत्यारोपण संस्थानों के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं और गुणवत्ता मानकों का पालन सुनिश्चित करने के लिए एक रोडमैप हैं।’ असल में जब अंग दाता और अंग प्राप्तकर्ता दोनों एक ही शहर के भीतर या अलग-अलग शहरों में अलग-अलग अस्पतालों में हों तो उस जीवित अंग को अस्पतालों के बीच ले जाने की आवश्यकता होती है और वह भी समय से। राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोट्टो) के निदेशक डॅा. अनिल कुमार ने कहा कि जीवित अंग का परिवहन एक अत्यंत महत्वपूर्ण गतिविधि है क्योंकि अंग की शेल्फ लाइफ सीमित होती है और इसके परिवहन में विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय की जरूरत होती है।

मानव अंगों को ले जाने वाली एयरलाइंस एयर ट्रैफिक कंट्रोल से विमान की प्राथमिकता से टेक-ऑफ और लैंडिंग के लिए अनुरोध कर सकती हैं। वे अंग परिवहन करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों के लिए प्राथमिकता से आरक्षण और देरी से उनके चेक-इन के प्रविधान का भी अनुरोध कर सकती हैं। जहां से अंग ले जाया जा रहा है, वह हवाई अड्डा गंतव्य हवाई अड्डे के साथ संवाद करेगा। आगमन पर ट्राली की व्यवस्था अंग बाक्स को विमान से एंबुलेंस तक ले जाने के लिए करनी होगी।

सड़क परिवहन के लिए विशिष्ट अधिकारियों या एजेंसियों के अनुरोध पर ग्रीन कारिडोर प्रदान किया जा सकता है। पुलिस विभाग का एक नोडल अधिकारी प्रत्येक राज्य या शहर में ग्रीन कारिडोर बनाने से संबंधित मुद्दों को संभाल सकता है।

मेट्रो से अंग परिवहन के लिए मेट्रो यातायात नियंत्रक को मानव अंगों को ले जाने वाली मेट्रो के लिए परिवहन को प्राथमिकता देनी होगी। मेट्रो सुरक्षा कर्मचारियों को अंग बाक्स ले जाने वाली टीम को बोर्डिंग तक एस्कार्ट करना चाहिए। मेट्रो अधिकारी सुनिश्चित करेंगे कि सुरक्षा जांच में कोई देरी न हो। इसी तरह ट्रेनों और बंदरगाहों के माध्यम से अंगों के परिवहन की सुविधा के लिए एसओपी जारी की गई हैं।

एसओपी में क्या-क्या है?
जब डोनर और रेसिपेंट( अंग प्राप्तकर्ता) अलग-अलग अस्पतालों में हों, चाहे एक ही शहर में हों या अलग-अलग शहरों में, तब एक जीवित अंग को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल ले जाना पड़ता है। हवाई मार्ग से परिवहन के लिए एसओपी के अनुसार, मानव शव से लिए गए अंगों को ले जाने वाली एयरलाइंस एयर ट्रैफिक कंट्रोल से विमान के लिए प्राथमिकता से उड़ान भरने और उतरने का अनुरोध कर सकती हैं और आगे की सीटें भी बुक करा सकती हैं। ये अंग ले जाने वाले मेडिकल स्टाफ के लिए प्राथमिकता से सीट बुकिंग और लेट चेक-इन की सुविधा का भी अनुरोध कर सकते हैं। एसओपी के अनुसार, सोर्स एयरपोर्ट गंतव्य एयरपोर्ट को सूचित करेगा और पहुंच प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए संवाद करेगा। दिशानिर्देशों के अनुसार, विमान के कप्तान घोषणा कर सकते हैं कि विमान में मानव अंग ले जाये जा रहे हैं।

एसओपी के अनुसार, हवाईअड्डे और एयरलाइन स्टाफ द्वारा विमान से एंबुलेंस तक अंग वाले बॉक्स को ले जाने के लिए ट्रॉली की व्यवस्था की जा सकती है। अगर एंबुलेंस को रनवे तक आने की अनुमति मिलती है, तो एयरलाइन क्रू अंग वाले बॉक्स को लेकर मेडिकल स्टाफ की मदद कर सकता है ताकि वे सीढ़ियों से सीधे रनवे पर उतरकर इंतजार कर रही एंबुलेंस में जा सकें। हवाईअड्डे के अधिकारियों को शुरुआती हवाईअड्डे पर और गंतव्य हवाईअड्डे पर एंबुलेंस से विमान तक अंग वाले बॉक्स के लिए एक ग्रीन कॉरिडोरऔर एक ट्रॉली की व्यवस्था करनी चाहिए। एसओपी के अनुसार, एंबुलेंस और अन्य वाहनों द्वारा अंगों के परिवहन की सुविधा के लिए, विशिष्ट अधिकारियों या एजेंसियों के अनुरोध पर “ग्रीन कॉरिडोर” प्रदान किया जा सकता है।

एसओपी में आगे कहा गया है कि वन ट्रिगर सिस्टम यानी अंग आवंटन प्राधिकरण (एनओटीटीओ/आरओटीटीओ/एसओटीटीओ) द्वारा “ग्रीन कॉरिडोर” बनाने के माध्यम से ऑर्गेन ट्रांसपोर्ट की प्रक्रिया शुरू करने के अनुरोध को इस उद्देश्य के लिए माना जा सकता है। इससे आंतरिक सुरक्षा संबंधी चिंताओं को कम करने में मदद मिल सकती है क्योंकि अनुरोध एक विश्वसनीय स्रोत से प्राप्त होगा। प्रत्येक राज्य/शहर में “ग्रीन कॉरिडोर” बनाने से संबंधित मुद्दों को संभालने के लिए पुलिस विभाग से एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जा सकता है, जो “ग्रीन कॉरिडोर” बनाने के दौरान अधिकार क्षेत्र, अनुमोदन, सुरक्षा चिंताओं आदि से संबंधित मुद्दों को सुलझाने में मदद कर सकता है।


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