खबरनामा: देहरादून के आरटीओ (प्रशासन) सुनील शर्मा, एसबीआई की एक अधिकारी व डीआरडीओ के एक वैज्ञानिक समेत 10 के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। यह मुकदमा जालसाजी और धोखाधड़ी के आरोप में दर्ज किया गया है। पुलिस के मुताबिक प्रकरण पड़ोसी के साथ चल रहे सिविल मुकदमे में फर्जी शपथपत्र देने के मामले से संबंधित है। आरोप है कि इन सभी ने अपने स्थान पर अधिवक्ता से पैरवी कराने को शपथपत्र बनवाए थे। इसका नोटरी अधिवक्ता के पास भी कोई रिकॉर्ड नहीं मिला।
रायपुर थाना पुलिस ने मामले में जांच शुरू कर दी है। पुलिस को दी शिकायत में पुनीत अग्रवाल निवासी एटीएस हेवन्ली फुटहिल्स सहस्रधारा रोड ने कहा कि उनका एटीएस हेवन्ली फुटहिल्स में एक प्लॉट है। इस प्लॉट में वह बोरिंग कराना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने जल संस्थान से भी अनुमति ले ली थी।
लेकिन, इसी कॉलोनी में रहने वाले आरटीओ सुनील शर्मा, डीआरडीओ के अधिकारी संजय रावत, एसबीआई अधिकारी दीपशिखा, रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन व कॉलोनी का निर्माण करने वाले बिल्डर मैसर्स प्रतीक रिजॉर्ट एंड बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड, साहिस्ता परवीन, आशीष गौड़, सुष्मा गौड़, हेमंत पांडे और शरद रघुवंशी ने विरोध किया। विरोध का यह मामला सिविल कोर्ट में चला गया। सिविल कोर्ट ने इसमें स्टे दिया और पुनीत अग्रवाल को बोरिंग के लिए इजाजत दे दी।
मुकदमे में अगली तारीखें लगीं। इसके बाद इन सभी लोगों ने स्वयं उपस्थित न होने के लिए एक अधिवक्ता आशीष नाथ को पैरवी के लिए नियुक्त किया। इसके लिए सभी ने आशीष नाथ के पक्ष में पॉवर ऑफ अटॉर्नी (शपथपत्र) कोर्ट में प्रस्तुत कर दिया। ये शपथपत्र नोटरी अधिवक्ता राजेंद्र सिंह नेगी ने सत्यापित किए थे। इसके लिए पुनीत अग्रवाल ने अधिवक्ता राजेंद्र सिंह नेगी को एक कानूनी नोटिस भेजकर इन शपथपत्र की सच्चाई जानी।
गत 06 मार्च को आए जवाब में पता चला कि नोटरी अधिवक्ता नेगी ने ऐसे कोई शपथपत्र सत्यापित नहीं किए हैं। इस तरह इन सभी की ओर से प्रस्तुत किए गए शपथपत्र फर्जी पाए गए। थानाध्यक्ष रायपुर कुंदन राम ने बताया कि इस संबंध में पुनीत अग्रवाल ने एसएसपी कार्यालय को शिकायत की थी। जिसकी जांच के क्रम में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
बार में पंजीकृत नहीं बताया जा रहा है अधिवक्ता
जांच में पता चला है कि जिस अधिवक्ता आशीष नाथ के पक्ष में शपथपत्र दिया गया है वह बार एसोसिएशन देहरादून में पंजीकृत ही नहीं है। ऐसे में जांच का विषय अब यह भी है कि आरोपियों ने इस कथित अधिवक्ता को अधिकार दिए भी थे या नहीं। यदि ऐसा नहीं है तो शपथपत्र सभी के नाम के कैसे बना लिए गए। पुलिस ने इस मामले में गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है।