छिन गई खुशियांः शादी के नौ दिन बाद ही पति की मौत- पत्नी बेसुध, मां पूछ रही कहां है मेरा बेटा

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उत्तराखंड के अल्मोडा में सोमेश्वर के विजयपुर गांव के जिस घर में सिर्फ नौ दिन पहले शहनाई गूंजी थी, अब वहां मातम है। मृतक पंकज का बीते आठ जून को विवाह हुआ था। एक-दूसरे का साथ पाकर पंकज और उसकी पत्नी किरन काफी खुश थे। परिजन अब भी विवाह की खुशियां मना रहे थे कि एक घटना ने खुशियां छीन लीं। नई नवेली दुल्हन की हाथों की मेहंदी ठीक से सूखी भी नहीं थी कि पति का साथ हमेशा के लिए छूट गया।

विजयपुर गांव में नौ दिन पूर्व जश्न का माहौल था। मौका था पंकज के विवाह का। खूब धूम-धड़ाके से उसका विवाह हुआ और वह नौरी पैथानी की 23 वर्षीय किरन के साथ विवाह बंधन में बंधे। विवाह की खुशियों के बीच पंकज उसका सैनिक भाई नीरज अपने चार साथियों के साथ घूमने के लिए कौसानी की तरफ निकले। सभी छह युवकों के परिजन उनके घर लौटने का इंतजार कर रहे थे लेकिन इनमें से दो युवकों की मौत की खबर उन्हें मिली। कोसी नदी में पति की डूबने से मौत हो गई और सिर्फ नौ दिन बाद भी पति-पत्नी का साथ हमेशा के लिए छूट गया। पति की मौत की खबर सुनकर किरन बेसुध है। माता-पिता के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं।

पंकज की शादी में शामिल होने उसका सैनिक भाई नीरज कुछ दिन पूर्व ही अवकाश पर घर लौटा था। रविवार को दोनों भाई अपने गांव के साथी युवक धीरज, महेंद्र, देवेंद्र, पंकज के साथ कौसानी निकले। वापसी में सोमेश्वर के पास कोसी नदी में नहाने उतरे। यहां नदी में डूबने से पंकज और धीरज की मौत हो गई। सैनिक भाई अपने छोटे भाई और साथी धीरज को बचाने की जद्दोजहद करता रहा लेकिन वह इसमें कामयाब नहीं हो सका। उसने छोटे भाई और साथी ने उसकी आंखों के सामने ही दम तोड़ दिया।


जानकारी के मुताबिक विजयपुर के छह युवक कोसी नदी में नहाने पहुंचे। सभी नहाने के लिए किनारे पर उतरे लेकिन पंकज और धीरज बीच नदी की तरफ जाने लगे। एपीएस में शिक्षक पंकज ने दोनों को इस तरफ जाने से रोका लेकिन उन्होंने उसकी नहीं सुनी। दोनों जैसे ही नदी के बीच गहराई में गए तो डूब गए। साथियों ने अपने कपड़ों की रस्सी बनाकर उन्हें बचाने का प्रयास किया, लेकिन इस प्रयास में वे सफल नहीं हो सके।

मां पूछ रही है कहां है धीरज

विजयपुर निवासी धीरज के पिता की काफी पहले मौत हो चुकी है। वह और उसका बड़ा भाई ही मां सावित्री का सहारा थे। कोसी नदी में नहाने के दौरान धीरज की भी मौत हुई है। बेटे की मौत की खबर सुनकर मां बदहवास है। वह बार-बार पूछ रही है कि मेरा बेटा धीरज कहां है और कब घर लौटेगा।

नदियों और तालाबों में डूबकर लोग आए दिन अपनी जान गंवा रहे हैं लेकिन इस पर प्रतिबंध लगाने में पुलिस-प्रशासन पूरी तरह नाकाम है। छह दिन पूर्व चौखुटिया में रामगंगा नदी में डूबने से पति-पत्नी की मौत हो गई। बीते वर्ष विश्वनाथ के पास सुयाल नदी में डूबने से भाई-बहन ने दम तोड़ा था। अब सोमेश्वर में कोसी में डूबने से दो युवकों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। पुलिस-प्रशासन घटना के बाद नदियों में नहाने पर प्रतिबंध लगाने की बात करता है लेकिन कुछ दिन बाद भी सभी बातें हवाई साबित होती हैं। जिले की किसी भी नदी में दुर्घटना संभावित क्षेत्रों में चेतावनी बोर्ड तक नहीं लगे हैं।


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