Uttarakhand Nikay Chunav को लेकर हाईकोर्ट ने दिया ये आदेश, आरक्षण पर भी आया ये बड़ा अपडेट

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नैनीताल हाईकोर्ट ने कार्यकाल खत्म होने के बावजूद नगर पालिका, नगर निगम व अन्य निकायों के चुनाव नहीं कराए जाने के मामले में दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने राज्य सरकार को अनुपालन रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं। याचिकाकर्ता ने अवमानना याचिका में सचिव आरके सुधांशु व नितिन भदौरिया को पक्षकार बनाया है। वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। वहीं निकाय चुनाव से पहले मतदाता सूची पर उठे सवालों के बीच अब मतदाता बढ़ने की खबरें आ रही हैं। राज्य निर्वाचन आयोग को अभी तक जिन जिलों की रिपोर्ट मिली है, उनमें पांच से सात प्रतिशत तक मतदाता बढ़ गए हैं।

देहरादून जिले के देहरादून, मसूरी और ऋषिकेश में भी करीब पांच फीसदी की बढ़ोतरी शामिल है।निकाय चुनाव की मतदाता सूची जारी होने के बाद विभिन्न निकायों में इस पर सवाल उठे थे। इसमें मतदाताओं के नाम हटाने या नए मतदाता शामिल न किए जाने के आरोप लगने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने सभी जिलों को मतदाता सूची पुनरीक्षण के आदेश दिए थे। इसके लिए पहले 15 दिन का समय दिया गया था। जिसकी अवधि बाद में कुछ दिन और बढ़ाते हुए आयोग ने रिपोर्ट मांगी थी। देहरादून समेत कुछ जिलों की रिपोर्ट आयोग को मिली है। जिसमें निकायों में मतदाताओं की संख्या में पांच से सात फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है

रिपोर्ट कुछ कमियों की वजह से लौटाई गई

देहरादून के नगर निगम देहरादून, ऋषिकेश और नगर पालिका मसूरी क्षेत्र में भी मतदाताओं की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। हालांकि निर्वाचन आयोग ने देहरादून जिले की रिपोर्ट कुछ कमियों की वजह से फिलहाल लौटा दी है। आयोग के उपायुक्त प्रभात कुमार सिंह ने बताया कि सभी जिलों से रिपोर्ट आ रही है। उन्होंने बताया कि निश्चित तौर पर मतदाताओं की संख्या में इजाफा हुआ है। इसकी एक बड़ी वजह ये भी मानी जा सकती है कि मतदाताओं को लोकसभा-विधानसभा की मतदाता सूची में नाम होने पर संतुष्टि होती है। कई मतदाताओं को ये जानकारी नहीं होती कि नगर निकाय चुनाव की मतदाता सूची अलग से बनती है।

निकायों में ओबीसी आरक्षण का इंतजार

निकाय चुनाव से पहले सरकार को निकायों में ओबीसी आरक्षण लागू करने का फैसला लेना है। एकल सदस्यीय समर्पित आयोग ने निकायों में ओबीसी आरक्षण की रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी। इसके तहत कई निकायों में 30 प्रतिशत तक आरक्षण मिलेगा तो कहीं पांच प्रतिशत तक भी आ जाएगा। अभी तक निकायों में 14 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण का नियम रहा है। इसमें बदलाव के लिए एक्ट में संशोधन करना होगा।

वहीं हाईकोर्ट में नैनीताल निवासी राजीव लोचन साह ने अवमानना याचिका दायर कर कहा था कि राज्य सरकार ने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया है। पूर्व में राज्य सरकार ने दो बार कोर्ट में अपना बयान देकर कहा था कि वह 2 जून 2024 तक निकायों का चुनाव करा लेगी परंतु अभी तक राज्य सरकार ने न तो चुनाव कराए और ना ही कोर्ट के आदेश का पालन किया। यह एक सांविधानिक संकट है। देश का संविधान इसकी अनुमति नहीं देता है।

अगर किसी वजह से राज्य सरकार तय समय के भीतर चुनाव नहीं करा पाती है तो उस स्थिति में केवल छह माह के लिए प्रशासकों को नियुक्त करके प्रशासनिक कार्य करा सकती है, लेकिन राज्य सरकार ने चुनाव कराने के बजाय प्रशासकों का कार्यकाल और बढ़ा दिया जो माननीय उच्च न्यायालय के आदेश, देश के संविधान व राज्य सरकार के कोर्ट में दिए गए बयान के विरुद्ध है। याचिका में कहा गया कि निकायों का कार्यकाल दिसंबर में समाप्त हो गया है। फिर भी सरकार ने चुनाव कराने का कार्यक्रम घोषित नहीं किया उल्टा निकायों में अपने प्रशासक नियुक्त कर दिए।


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