देहरादून में मलिन बस्तियों के लिए कांग्रेस मुखर, MDDA VC को ज्ञापन सौंप की ये मांग

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कांग्रेस करती है बसाने का काम-BJP करती है उजाड़ने का कामः वीरेंद्र पोखरियाल

देहरादून में मलिन बस्तियों के निवासियों को नोटिस जारी किये जाने के विरोध में कांग्रेस मुखर है। कांग्रेस कार्यकर्ता लगातार इस मुद्दे पर प्रदर्शन कर रहे है। इसी कड़ी में मंगलवार को पूर्व विधायक राजकुमार और गढ़वाल निकाय चुनाव प्रभारी विरेंद्र पोखरियाल के नेतृत्व में कांग्रेस कार्यकर्ता एमडीडीए कार्यालय पहुंचे, इस दौरान जहां उन्होंने प्रदर्शन करते हुए नोटिसों को वापस लिये जाने की मांग की तो वहीं एमडीडीए के उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी को ज्ञापन सौंपकर इस ओर कार्यवाही किये जाने की मांग की।

बता दें कि आगामी तीस जून तक रिस्पना व बिन्दाल नदियों से सटी हुई मलिन बस्तियों को हटाये जाने के विरोध में कांग्रेसियों ने एमडीडीए में प्रदर्शन करते हुए पुहंचे। इस अवसर पर पूर्व विधायक राजकुमार ने कहा है कि मलिन बस्तियों के निवासी गण चालीस वर्षों से अधिक समय से बस्तियों में निवास कर रहे है और उनके पास पानी, बिजली के बिल, राशन कार्ड, पहचान पत्र, आधार कार्ड व सभी कागज बस्तीवासियों पर उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि इन बस्तियों में सांसद, विधायक, पार्षद, नगर निगम, एमडीडीए, सिंचाई विभाग, लोक निर्माण विभाग तथ सरकारी सभी विभागें ने इन बस्तियों का कार्य किया हुआ है परन्तु इन सभी बस्तीवासियों के मकान तोडने का नोटिस दिया गया है।

उन्होंने कहा कि नगर निगम ने सभी को तीस जून तक हटाने को कहा गया है और पूर्व में नगर निगम ने कहा था कि 2016 के बाद नया निर्माण जिसने किया है उसे अतिक्रमण माना जायेगा लेकिन इन लोगों को भी नोटिस दे दिया गया है जो लोग तीस व चालीस वर्षों से बस्तियों में निवास कर रहे है। इस अवसर पर उन्होंने को ज्ञापन देकर कहा गया कि इन सभी नोटिसों को तुरंत निरस्त किया जाये और गरीब लोगों ने मेहनत, मजदूरी करके अपने छोटे छोटे मकान बनावाये हुए है जिन्हें तोडा जाना उचित नहीं होगा।

वहीं गढ़वाल निकाय चुनाव प्रभारी वीरेंद्र पोखरियाल ने कहा है कि मलिन बस्तियों के निवासी कई वर्षों से रिस्पना नदी के किनारे अपने कच्चे पक्के मकान बनाकर निवास कर रहे है और उनके मकानों में पानी, बिजली के बिल व भवन कर नगर निगम द्वारा लगा हुआ है। ये मलिन बस्ती निवासी पिछले चालीस वर्षों से यहां निवास कर रहे है। परिवार बडा होने के कारण इन्होंने उसी स्थान पर या उस भवन के ऊपर एक या दो कमरे बना दिये हैं जिससे 2016 से पहले व बाद में पानी, बिजली लगा लिया है उसको अतिक्रमण माना जा रहा है। कांग्रेस शासनकाल में मलिन बस्तियों के लिए नीति बनाई गई थी और उस नीति के तहत कुछ लोगों को मालिकाना हक दिया गया था वो नीति शहरी विकास कार्यालय में है और उस नीति को लागू किया जाये जो विधानसभा में पास हो रखी है।

उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि ये बीजेपी उजाडने का काम करती है। 2012 में राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी तो गरीबों वा मलिन बस्ती के लोगों से मालिकाना हक का को वायदा कांग्रेस ने किया था उसके अनुरूप मलिन बस्तियों को मालिकाना हक देने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत जी ने बाकायदा एक समिति बनाई और उस समिति की रिपोर्ट की संस्तुति पर मलिन बस्तियों को मालिकाना हक़ देने के लिए नियम कानून बनाए।

जब लोगों को मालिकाना हक देने की प्रक्रिया शुरू की किंतु २०१७ में राज्य में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी और उसने इस प्रक्रिया को रोक दिया और वर्ष २०१८ में एक पीआईएल पर माननीय उच्च न्यायालय के एक आदेश की आड़ ले कर राज्य भर में मलिन बस्तियों को उजाड़ने की साजिश शुरू कर दी जिसका कांग्रेस ने डट कर विरोध किया व मुख्यमंत्री आवास कूच किया तो राज्य की सरकार आनन फानन में एक अध्यादेश ले आई और तब से समय समय पर मलिन बस्तियों के लोगों को डराया जाता है और चुनावों में मालिकाना हक़ देने का वायदा भाजपा करती है।


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