युवा डॉक्टर की मौत पर हंगामा, विभाग और प्रबंधन पर लगे गंभीर आरोप, जानें पूरा मामला
खबरनामा/ देहरादूनः उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से SGRR मेडिकल छात्र के सुसाइड का मामला सामने आने के बाद यह मुद्दा अब गरमाता जा रहा है. कॉलेज के छात्र-छात्राओं और मृतक छात्र के परिजनों ने कॉलेज प्रशासन पर गंभीर आरोप लगा डाले हैं. तो वहीं मामले में एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज में प्रिंसिपल ऑफिस में शनिवार को छात्र छात्राएं जमा हुए. गुस्साए छात्रों का आरोप है की विभाग और प्रबंधन द्वारा फीस को लेकर उनका लगातार शोषण किया जा रहा था।
मृतक छात्र के परिजन भी कॉलेज पहुंचे. इस दौरान काफी संख्या में स्टूडेंट जमा हुए थे. कॉलेज के प्राचार्य नहीं मिले तो गुस्साए पीजी डॉक्टर कार्य बहिष्कार पर इमरजेंसी के बाहर ही धरना देने बैठ गए. मामले में जमकर हंगामा हुआ। जिस पर अब कॉलेज प्रशासन ने अपना पक्ष रख कहा है कि छात्र की मौत का कुछ लोग अपने हित के लिए इस्तेमाल कर रहे है। उन्होंने डीजीपी को अपना पक्ष लिख शिकायत पत्र भेजा है।
जानकारी के मुताबिक राजधानी देहरादून के पटेल नगर स्थित निजी मेडिकल कॉलेज श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड हेल्थ साइंसेज में पीलिया विभाग के छात्र देवेश गर्ग (27) ने शुक्रवार रात संदिग्ध परिस्थितियों में आत्महत्या कर ली है. देवेश स्नातकोत्तर प्रथम वर्ष बाल रोग का छात्र था. मृतक छात्र मूल रूप से हरियाणा का रहने वाला था.
बताया जा रहा है छात्र ने इंजेक्शन लगाकर खुदकुशी की है. गंभीर हालत में देवेश को निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां उपचार के दौरान छात्र ने दम तोड़ दिया. अस्पताल की ओर से रात करीब साढ़े 11 बजे छात्र की मृत्यु की सूचना परिजनों को दी गई, छात्र ने आत्महत्या क्यों की, अभी तक मौत के कारणों का पता नहीं चल पाया है. पुलिस मामले की जांच में जुट गई है.
एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज द्वारा डीजीपी को शिकायत पत्र में लिखा है कि शिशु रोग विभाग के संज्ञान में प्रारम्भ में यह जानकारी आई थी कि छात्र देवेश गर्ग पीजी छोड़ना चाहते हैं। उनका प्रवेश अंतिम काउंसलिंग में हुआ था और वह पीजी की पढ़ाई में सामन्जस्य स्थापित नहीं कर पा रहे थे। उस समय उनकी यूनिट भी बदली गई। उनके पिता काॅलेज में आए थे। उनके पिता को समझाकर विभागीय काउंसलिंग की गई कि देवेश पीजी का कोर्स पूरा करें। काफी हद तक समझाने और काउंसलिंग के बाद उन्होने पढ़ाई शुरू कर दी थी।
छात्र के पिता, किसी अभिभावक या स्वयं छात्र ने कभी भी किसी प्रकार की कोई मौखिक या लिखित शिकायत काॅलेज में नहीं दी। कोई संदेह नहीं है कि मेडिकल की पढाई कठिन होती है। मेडिकल एजुकेशन की रेग्यूलेटी बाॅडी नेशनल मेडिकल कमीशन के नियमो का काॅलेज और छात्र को सख्ती से पालन करना पढ़़ता है।
मेडिकल काॅनेज ने यह भी स्पष्ट किया कि प्राचार्य उत्कर्ष शर्मा ने यह कभी दावा नहीं किया कि छात्र ने पारिवारिक कारणों से छात्र ने यह आत्मघाती कदम उठाया। जिन समाचार पत्रों, सोशल मीडिया पर ऐसी जानकारी प्रकाशित की गई है उसका खण्डन प्रकाशित किया जाना चाहिए। छात्र द्वारा उठाया गया यह कदम पूर्णता जाॅच का विषय है।
छात्र ने आत्महत्या की है लेकिन कारणों के बारे में मेडिकल काॅलेज जानकारी नहीं दे सकता है। यह बड़े अफसोस की बात है कि कुछ छात्र बिना मेहनत किए हुए काॅलेज प्रशासन पर दबाव बनाकर अपनी डिग्री हासिल करना चाहते हैं। ऐसे असमाजिक तत्वों से समाज को सावधान रहने की आवश्यता है। छात्रों एवम् फकल्टी एमएनसी के नियमो ंसे बंधे हुए हैं। काॅलेज प्रशासन व सभी फैकल्टी छात्र-छात्राओं के साथ बहुत अच्छा व्यवहार करते हैं।
कुछ समाचार पत्रों एवम् सोशल मीडिया में इस जानकारी का उल्लेख किया गया है कि थीसिस फाडी गई थी यह जानकारी सरासर झूठ है, तथ्यहीन है और आपत्तिजनक है यदि किसी के व्यक्ति के पास इस बात का काई प्रमाण हो तो वह सार्वजनिक जानकारी में प्रमाण को प्रस्तुत करे। थीसिस को तैयार करने और जमा करने का समय तृृतीय वर्ष में होता है जबकि छात्र अभी प्रथम वर्ष में था।
कुछ छात्रों ने एक युवा डाॅक्टर की आत्महत्या के विषय का इस्तेमाल निज स्वार्थों को पूरा करने केे लिए किया है। इस बात की जाॅच की जा रही है। संस्थान ऐसे छात्रों के खिलाफ निष्पक्ष जाॅच की पैरवी करता है। छात्र की मौत को आधार बनाकर कुछ छात्रों ने अपनी निजी मांगों को सामने रख दिया यह बेहद दुर्भाग्यपूर्णं है। यहां पर उल्लेख करना उचित रहेगा कि पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के आधार पर मृृत्यु के कारण स्पष्ट हो जाएंगे लेकिन मानसिक तनाव के कारणों का पता नहीं चलेगा। मानसिक परेशानी के बारे में घरवालों को या अन्य सहयोगियों को जानकारी हो सकती है। उनके द्वारा ही मेडिकल काॅलेज को इस सम्बन्ध में जानकारी दी जा सकती है।
एसजीआरआर मेडिकल काॅलेज में छात्र द्वारा आत्महत्या के मामले को राजनीतिक रंग देने वालों के खिलाफ मेडिकल काॅलेज कानूनी कार्रवाई करेगा। सोशल मीडिया, ट्विटर व इंस्टाग्राम पर भ्रामक जानकारियों को पोस्ट करने वालों के खिलाफ मेडिकल काॅलेज प्रबन्धन ने पुलिस महानिदेशक, उत्तराखण्ड को शिकायती पत्र लिखकर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। एसजीआरआर मेडिकल काॅलेज के वरिष्ठ विधि विशेषज्ञों ने मामले से जुड़े सभी साक्ष्यों एवम् वीडियो फुटेज को देखने के बाद मेडिकल काॅलेज की छवि खराब करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है।
श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट आॅफ मेडिकल एण्ड हैल्थ साइंसेज़ ने पुलिस महानिदेशक उत्तराखण्ड को पत्र भेजकर पूरे घटनाक्रम सेे अवगत कराया है। मेडिकल काॅलेज प्रबन्धन ने यह मांग की है कि ट्विटर@इंडियन डाॅक्टर, ट्विटर@डाॅ ध्रुव चैहान, ट्विटर@गर्म खोपड़ी,
इंस्ट्राग्राम@मीमेडिको के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
मेडिकल काॅलेज ने सूचना तकनीक कानून एक्ट 2000 के अन्तर्गत उपरोक्त को कड़ा कानूनी नोटिस एवम् भारतीय दण्ड संहिता के अन्तर्गत कानूनी कार्रवाई की मांग की है।