सरेनी कोतवाली से लेकर भोजपुर चौकी तक फैला है वन माफियाओं का मकड़ जाल
ब्यूरो उमेश श्रीवास्तव/रायबरेली: सरेनी यू तो अगर देखा जाए तो हमारी सरकार पर्यावरण को शुद्ध बनाने के लिए करोड़ों रुपए के भारी भरकम का बजट सालाना वृक्षारोपण के लिए खर्च करती है लेकिन अगर देखा जाए तो जिम्मेदारों की सरफरस्ती पर प्रतिबंधित काटानो का बोलबाला लगातार फल फूल रहा है।
हमेशा विवादों के घेरे में रहने वाली और प्रतिबंधित कार्यों के लिए जिले में अव्वल दर्जा लेने वाली सरेनी कोतवाली लगातार अपने प्रतिबंधित काटानो के मामले में रोजाना ही चर्चित रहती है।आए दिन धरती के सुहाग पर वनमाफियाओं के द्वारा हरे भरे पेड़ों पर इलेक्ट्रॉनिक आर चलाकर पेड़ों को धराशाई कर दिया जाता है । दिनदहाड़े बेस कीमती पेड़ों की लकड़कियों को वनमाफियाओं के द्वारा कानपुर , बनारस , इलहाबाद जैसी अन्य बड़ी मंडियो में बेच दिया जाता हैं ।
सबसे बड़ी आश्चर्य की बात तब होती है जब कोतवाली या चौकी से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर इन प्रतिबंधित कार्यों को अंजाम दिया जाता है। हाल ही सरेनी कोतवाली के हल्का नंबर दो के दुधवन गांव में प्रतिबंधित पेड़ो को काटा गया तो वही भोजपुर चौकी से महज 1 किलोमीटर की दूरी पर प्रतिबंधित आम का पेड़ को काट कर धराशाई कर दिया गया।अब ऐसे में देखना अहम यह है कि इस खबर के प्रकाशित होने के बाद विभाग क्या हरकत करता है जो की आने वाला समय ही बताएगा।