गुनसोला ने मैदीन में अकेले दिखाया दम, जनता से कहा आप सब है हमारे स्टार प्रचारक
उत्तराखंड में पांच लोकसभा सीटों पर 19 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे, लेकिन इस बार चुनाव में उस तरह की गर्मजोशी और माहौल नहीं दिखा, जो पिछले चुनाव में दिखा करता था. राजनीति के जानकारों का कहना है कि इस बार के चुनाव कुछ ऐसे हो रहे हैं, जिसका न तो स्थानीय जनता को पता लग रहा है और न ही कार्यकर्ताओं को ये आभास हो रहा है कि वो चुनावी मैदान में किसी के लिए काम कर रहे हैं
. बेहद फीके रहे इन चुनाव में बीजेपी ने अपने स्टार प्रचारकों की पूरी फौज तो उतारी, लेकिन कांग्रेस की हालत कुछ ऐसी थी कि उनके पास न तो दिल्ली से आने वाले स्टार प्रचारकों के नाम थे और न ही स्थानीय नेताओं ने किसी दूसरी लोकसभा पर जाने की जहमत उठाई. आलम ये रहा कि टिहरी लोकसभा सीट पर तो किसी भी बड़े चेहरे ने अपने उम्मीदवारों के लिए वोट तक नहीं मांगे। पर प्रत्याशी मैदान में एकला चलो की राह पर डटे रहे।
जहां एक और किसी बड़े नेता ने टिहरी सीट पर प्रचार करने के लिए आने की जहमत नहीं उठाई तो वहीं उम्मीदवार अपने ही दम पर पूरा चुनाव लड़ते दिखे.।हालांकि टिहरी लोकसभा सीट की महत्वता देखी जाए तो इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि राजधानी देहरादून का अमूमन हिस्सा इस सीट में आता है. मौजूदा समय में बीजेपी प्रत्याशी माला राज्य लक्ष्मी शाह, कांग्रेस प्रत्याशी जोत सिंह गुनसोला के सामने खड़ी हैं, लेकिन इसके बावजूद भी किसी भी पार्टी के बड़े कार्यकर्ता या नेता ने टिहरी में अपने उम्मीदवार के लिए प्रचार नहीं किया.
लेकिन जोत सिंह गुनसोला ने हार नहीं मानी वह अकेले ही देहरादून से लेकर गंगोत्री, चकराता, मसूरी और धनोल्टी जैसे हिस्सों में वोट मांगते रहे और जनसभा करते रहे, लेकिन किसी भी दिल्ली के नेता ने इस सीट पर आकर माहौल बनाने की कोशिश नहीं की. आलम ये रहा कि हरीश रावत जैसे नेता भी अपने बेटे की सीट पर ही प्रचार करते रहे.